नमस्ते।
आज हम आपको बहुत ही आसान तरीके से समझाएंगे कि रेगिस्तान में मरीचिका कैसे बनती है तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले यह ध्यान रहे कि यदि किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रही है तो किरण अभिलम्ब से दूर हटती है और यदि किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जा रही है तो किरण अभिलम्ब की ओर झुकती है। जैसे चित्र में दिखाया गया है
चित्र में जो लाइन दिख रही है वह सघन माध्यम है और नीचे विरल माध्यम है जब किरण किसी ऊंची इमारत या वृक्ष से होकर हमारी आंखों तक पहुंचती है तो प्रतिबिंब l उल्टा दिखाई देता है। प्रतिबिंब (परछाई) का उल्टा बनना किरण का अभिलम्ब से दूर हटना दर्शाता है। इस चित्र को ध्यान से देखिए इसमें O वृक्ष है जो कि सघन माध्यम में है और जब किरण पेड़ से निकलकर आखों में पड़ती है तो किरण अभिलम्ब से दूर हटती है कारण प्रतिबिंब उल्टा दिखाई देता है और लोगों को यह भृम होता है कि उस जगह पर पानी भरा हुआ है लेकिन वहां पर पानी नहीं होता है। इस तरह आप समझ गए कि रेगिस्तान में मरीचिका बनने का क्या कारण हैं।
आज हम आपको बहुत ही आसान तरीके से समझाएंगे कि रेगिस्तान में मरीचिका कैसे बनती है तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले यह ध्यान रहे कि यदि किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रही है तो किरण अभिलम्ब से दूर हटती है और यदि किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जा रही है तो किरण अभिलम्ब की ओर झुकती है। जैसे चित्र में दिखाया गया है
चित्र में जो लाइन दिख रही है वह सघन माध्यम है और नीचे विरल माध्यम है जब किरण किसी ऊंची इमारत या वृक्ष से होकर हमारी आंखों तक पहुंचती है तो प्रतिबिंब l उल्टा दिखाई देता है। प्रतिबिंब (परछाई) का उल्टा बनना किरण का अभिलम्ब से दूर हटना दर्शाता है। इस चित्र को ध्यान से देखिए इसमें O वृक्ष है जो कि सघन माध्यम में है और जब किरण पेड़ से निकलकर आखों में पड़ती है तो किरण अभिलम्ब से दूर हटती है कारण प्रतिबिंब उल्टा दिखाई देता है और लोगों को यह भृम होता है कि उस जगह पर पानी भरा हुआ है लेकिन वहां पर पानी नहीं होता है। इस तरह आप समझ गए कि रेगिस्तान में मरीचिका बनने का क्या कारण हैं।

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